जो तमाम उम्र जमाते रहे ;;; छाती पर मेरी पत्थर ;; वही लोग पूछ रहे मुझसे ;;तुम इतनी सख्त कैसे हो गयी ! जोधपुर , राजस्थान के एक छोटे से क़स्बा ऊसियाँ से उभरकर रास्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय स्तर पर दस्तक देनेवाली लेखिका श्रीमती आशा पाण्डेय जी की दूसरी काव्य पुस्तक '' एक कोशिश , रौशनी की ओर " आज कल चर्चा में है ! अपनी बेबाक अभिव्यक्ति और विषय के प्रति गहरी जानकारी रखने वाली लेखिका ने लग भाग सौ काव्य रचनाओं के माध्यम से इस गुलदस्तों को बखूबी सजाया है ! हबीब कैफ़ी , डॉ सावित्री डागा ,सत्येन व्यास , नन्द किशोर शर्मा , चुरू के कलक्टर कृष्ण कान्त पाठक जैसे विद्वानों ने पुस्तक के प्रारंभ में अपनी बेहतरीन राय रखी है ! माँ तुम , भावो का पानी , अनुराग , औरत , चल साथी मेरे साथ चल , मेरी बेटियाँ , आँख में नमी ना आये , आ जाओ एक बार जैसी कवितायेँ भावनात्मक स्तर पर आधुनिक समस्याओं से साक्छात्कार कराती है ! दिलकश और काबिले तारीफ अदा है आशा जी के अभिव्यक्ति की !! भाई आदर्श तिवारी जी को धन्यवाद जिन्होंने इतनी बेहतरीन पुस्तक दे कर मुझे साहित्यिक रूप से समृद्ध बनाया ! --- डॉ रविकांत दुबे !
गुरुवार, 25 सितंबर 2014
जो तमाम उम्र जमाते रहे ;;; छाती पर मेरी पत्थर ;; वही लोग पूछ रहे मुझसे ;;तुम इतनी सख्त कैसे हो गयी ! जोधपुर , राजस्थान के एक छोटे से क़स्बा ऊसियाँ से उभरकर रास्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय स्तर पर दस्तक देनेवाली लेखिका श्रीमती आशा पाण्डेय जी की दूसरी काव्य पुस्तक '' एक कोशिश , रौशनी की ओर " आज कल चर्चा में है ! अपनी बेबाक अभिव्यक्ति और विषय के प्रति गहरी जानकारी रखने वाली लेखिका ने लग भाग सौ काव्य रचनाओं के माध्यम से इस गुलदस्तों को बखूबी सजाया है ! हबीब कैफ़ी , डॉ सावित्री डागा ,सत्येन व्यास , नन्द किशोर शर्मा , चुरू के कलक्टर कृष्ण कान्त पाठक जैसे विद्वानों ने पुस्तक के प्रारंभ में अपनी बेहतरीन राय रखी है ! माँ तुम , भावो का पानी , अनुराग , औरत , चल साथी मेरे साथ चल , मेरी बेटियाँ , आँख में नमी ना आये , आ जाओ एक बार जैसी कवितायेँ भावनात्मक स्तर पर आधुनिक समस्याओं से साक्छात्कार कराती है ! दिलकश और काबिले तारीफ अदा है आशा जी के अभिव्यक्ति की !! भाई आदर्श तिवारी जी को धन्यवाद जिन्होंने इतनी बेहतरीन पुस्तक दे कर मुझे साहित्यिक रूप से समृद्ध बनाया ! --- डॉ रविकांत दुबे !
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